Mumbai Meri Jaan
Saturday, May 11, 2013
Thursday, August 16, 2012
इस बार नही....
इस बार जब वो छोटीसी बच्ची मेरे पास
अपनी खरोंच ले कर आयेगी
मै उसे फुं फुं कर नही बेहलाऊंगा
पनपने दुंगा उसकी तीस को
इस बार नही....
इस बार जब मैं चेहरों पर दर्द लिखा देखुंगा
नही गाऊंगा गीत पीडा भुला देने वाले
दर्द को रिसने दुंगा, उतरने दुंगा अंदर गहरे
इस बार नही....
इस बार मैं ना मरहम लगाऊंगा
ना ही ऊठाउंगा रुई के फाहे
और ना ही कहूंगा की तुम आंखे बंद करलो, गर्दन उधर कर लो मैं दवा लगाता हू
देखने दुंगा सबको हम सबको खुले नंगे घाव
इस बार नही....
इस बार जब उल्झने देखुंगा, छटपटाहट देखुंगा
नही दौडूंगा उल्झी दोर लपेटने
उलझने दुंगा जब तक उलझ सके
इस बार नही....
इस बार कर्म का हवाला देकर नही उठाउंगा औजार
नही करुंगा फिर से एक नई शुरुआत
नही बनाऊंगा मिसाल एक कर्मयोगी की
नही आने दुंगा झिंदगी को आसानी से पटरी पर
उतरने दुंगा उसे किचड में, तेढे मेढे रास्तों पे,
नही सुकने दुंगा दिवारों पर लगा खुन
हलका नही पडने दुंगा उसका रंग
इस बार नही बनने दुंगा उसे इतना लाचार
की पान की पीक और खुन का फर्क ही खतम हो जाये
इस बार नही....
इस बार घावों को देखना है गौर से, थोडे लंबे वक्त तक,
कुछ फैसले
और उसके बाद हौसले
कही तो शुरुआत करनी ही होगी...
इस बार यही तय किया है
इस बार नही....
... प्रसुन जोशी
अपनी खरोंच ले कर आयेगी
मै उसे फुं फुं कर नही बेहलाऊंगा
पनपने दुंगा उसकी तीस को
इस बार नही....
इस बार जब मैं चेहरों पर दर्द लिखा देखुंगा
नही गाऊंगा गीत पीडा भुला देने वाले
दर्द को रिसने दुंगा, उतरने दुंगा अंदर गहरे
इस बार नही....
इस बार मैं ना मरहम लगाऊंगा
ना ही ऊठाउंगा रुई के फाहे
और ना ही कहूंगा की तुम आंखे बंद करलो, गर्दन उधर कर लो मैं दवा लगाता हू
देखने दुंगा सबको हम सबको खुले नंगे घाव
इस बार नही....
इस बार जब उल्झने देखुंगा, छटपटाहट देखुंगा
नही दौडूंगा उल्झी दोर लपेटने
उलझने दुंगा जब तक उलझ सके
इस बार नही....
इस बार कर्म का हवाला देकर नही उठाउंगा औजार
नही करुंगा फिर से एक नई शुरुआत
नही बनाऊंगा मिसाल एक कर्मयोगी की
नही आने दुंगा झिंदगी को आसानी से पटरी पर
उतरने दुंगा उसे किचड में, तेढे मेढे रास्तों पे,
नही सुकने दुंगा दिवारों पर लगा खुन
हलका नही पडने दुंगा उसका रंग
इस बार नही बनने दुंगा उसे इतना लाचार
की पान की पीक और खुन का फर्क ही खतम हो जाये
इस बार नही....
इस बार घावों को देखना है गौर से, थोडे लंबे वक्त तक,
कुछ फैसले
और उसके बाद हौसले
कही तो शुरुआत करनी ही होगी...
इस बार यही तय किया है
इस बार नही....
... प्रसुन जोशी
Friday, May 11, 2012
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